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Dr. Yadubir Sinha Homoeopathic Medical College & Hospital

Affiliated to Babasaheb Bhimrao Ambedkar Bihar University (Muzaffarpur).

Recognised by- (C.C.H.) National Commission for Homeopathy, Ministry of AYUSH, Govt. of India & Govt. of Bihar.

ESTD (Land)

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डॉ० यदुवीर सिन्हा वो डॉ० यदुवीर सिन्हा होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल, लहेरियासराय, दरभंगा (बिहार)

परिचय

डॉ० यदुवीर सिन्हा होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के संस्थापक डॉ० यदुवीर सिन्हा का जन्म 10 अप्रैल, 1904 ई० को ग्राम-ओझौल, अंचल व थाना-बहादुरपुर, जिला-दरभंगा, बिहार के एक जमींदार परिवार में हुआ था | वे अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गाँव के स्कूल से और माध्यमिक शिक्षा दरभंगा से प्राप्त किये | डॉ० सिन्हा बचपन से बहुत मेधावी थे | वें गाँव के विकास एवं बच्चों के शिक्षा में रूचि लेते थे | डॉ० सिन्हा अपने पढाई पूर्ण होने के पश्चात दरभंगा नगर निगम के सदस्य रहे एवं अन्य शैक्षणिक कार्यों में इनका योगदान रहा |

मिथिला के ह्रदय स्थली दरभंगा शहर के मध्य में 10 अप्रैल 1929 को डॉ० यदुवीर सिन्हा के द्वारा “द सिन्हा होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल” का स्थापना होमियोपैथी के प्रचार-प्रसार, गरीब, दलित, पीड़ित एवं अति पिछड़े वर्गों के चिकित्सा सेवा के लिए किया गया था |

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होमियोपैथी के विकास के लिए बिहार राज्य में होमियोपैथिक चिकित्सा बोर्ड को सरकार द्वारा स्थापित करवाने एवं भूमि, भवन उपलब्ध करवाने में डॉ० सिन्हा की अहम भूमिका रही | डॉ० यदुवीर सिन्हा बिहार राज्य होमियोपैथिक बोर्ड के संस्थापक सदस्य थे एवं भारत वर्ष के एक सुप्रसिद्ध चिकित्सक के रूप में इनकी गणना की जाती थी | इनके द्वारा भारत के अनेकों राज्यों से रोगी इस महाविद्यालय अस्पताल में चिकित्सा के लिए आते थे | इन्होने अपने होमियोपैथिक अध्ययन अनुभव के आधार पर 14 पुस्तक अंग्रेजी और हिन्दी भाषा में लिखे जो होमियोपैथिक जगत में आज भी महत्वपूर्ण हैं |

जहाँ तक इस होमियोपैथिक महाविद्यालय के इतिहास की बात है, हमें गर्व है कि सर्वप्रथम बिहार में सन 1929 ई० में इस महाविद्यालय का स्थापना हुआ |

द सिन्हा होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल की मान्यता सर्वप्रथम सन 1960 में बिहार राज्य होमियोपैथिक चिकित्सा बोर्ड, कदमकुआँ, पटना के द्वारा बिहार के प्रथम होमियोपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय के रूप में मिला |

सन 1961 से 1975 तक महाविद्यालय का बिहार राज्य होमियोपैथिक चिकित्सा बोर्ड के अधीन शिक्षण-परीक्षण कार्य संचालित था |

इस चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में सर्वप्रथम 17 अगस्त, 1961 से डी. एम. एस. कोर्स 3 वर्ष 6 माह की पढाई शुरू की गयी, तत्पश्चात डी. एच. एम. एस. कोर्स 4 वर्ष 6 माह की पढाई सन 1971 से सन 1975 ई० तक बिहार राज्य होमियोपैथिक चिकित्सा बोर्ड, पटना के अधीन रहा |

डॉ० सिन्हा के अथक प्रयास से बिहार के सभी होमियोपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय को विश्वविद्यालय में डिग्री कोर्स के पढाई हेतु राज्य सरकार के आदेशनुसार 10अप्रैल, 1973 में बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में इस महाविद्यालय के साथ बिहार राज्य के कुल उन्नीस होमियोपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय को स्थानान्तरित किया गया | सन 1976 ई० से डी. एच. एम. एस. कोर्स का संचालन बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से शुरू हुई |

द सिन्हा होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के साथ डिग्री कोर्स हेतु कुल सात होमियोपैथी चिकित्सा महाविद्यालय को वर्ष 1985 ई० से बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से सम्बद्धता प्राप्त हुई | बी. एच. एम. एस. डिग्री कोर्स की शुरुआत बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में सन 1986 से वर्तमान समय तक चल रहा है | इस महाविद्यालय को वर्ष 2003 से बाबासाहेव भीमराव अम्बेडकर, बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से स्थायी सम्बद्धता प्राप्त है |

वर्तमान में द सिन्हा होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का नाम वर्ष 2007 से तत्कालीन प्राचार्य के अनुसंसा पर ट्रस्ट के द्वारा महाविद्यालय के संस्थापक के नाम पर डॉ० यदुबीर सिन्हा होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, लहेरियासराय, दरभंगा कर दिया गया |

इस होमियोपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य क्रमश: सन 10अप्रैल, 1929 से 1937 तक डॉ० एम० ए० हैदरी, 1937 से 11 नवम्बर, 1979 तक डॉ० यदुवीर सिन्हा, 12 नवम्बर, 1979 से 05 अगस्त, 2008 तक डॉ० नरेन्द्र नारायण सिन्हा, प्रभारी प्राचार्य 2008 से 05 अगस्त, 2016 एवं 06 अगस्त, 2016 से प्राचार्य के पद पर डॉ० भरत कुमार सिंह हैं | वर्तमान में डॉ० भरत कुमार सिंह, सन 2019 ई० से बाबासाहेव भीमराव अम्बेडकर, बिहार विश्वविद्यालय में होमियोपैथिक संकाय के संकायाध्यक्ष (डीन) हैं |

इस महाविद्यालय के डी. एम. एस. एवं डी. एच. एम. एस. उतीर्ण हजारों चिकित्सक राष्ट्रीय स्तर पर होमियोपैथिक सेवारत हैं | यह भी जानकारी कराते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है कि इस महाविद्यालय से उतीर्ण छात्र राष्ट्रीय एवं राज्य के प्रशासनिक एवं अर्ध सरकारी संगठन में उच्च पद पर आसीन रह चुके हैं यथा बिहार राज्य होमियोपैथिक चिकित्सा बोर्ड के माननीय अध्यक्ष डॉ० उपेन्द्र प्रसाद यादव, पूर्व निदेशक, (होमियोपैथिक) स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार, डॉ० चक्रधर पासवान, केन्द्रीय होमियोपैथी परिषद् एवं बिहार राज्य होमियोपैथिक चिकत्सा बोर्ड के माननीय सदस्य डॉ० उमाशंकर चौधरी के अतिरिक्त भारत सरकार से मनोनीत केन्द्रीय होमियोपैथी परिषद् के माननीय सदस्य डॉ० शवीर अहमद एवं अनेकानेक यहाँ के छात्र अन्य राज्यों के होमियोपैथिक महाविद्यालय एवं होमियो अनुसंधान केन्द्र तथा चिकित्सालयों में उच्च पद पर आसीन रह चुके हैं, साथ ही केन्द्रीय होमियोपैथी परिषद्, नयी दिल्ली के सदस्य, कई राज्य के होमियोपैथिक बोर्ड अध्यक्ष एवं सदस्य भी रह चुके है और अंतर्राष्ट्रीय देशो के छात्र भी इस महाविद्यालय से पठन पाठन किये हैं | इस सबका श्रेय महाविद्यालय के संस्थापक डॉ० यदुवीर सिन्हा जी को जाता है |

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भूमि

इस चिकित्सा महाविद्यालय की भूमि दो भागों में अवस्थित है | वर्तमान में कॉलेज और अस्पताल भवन बाकरगंज, लहेरियासराय, दरभंगा में अवस्थित है, जिसकी भूमि लगभग एक एकड़ है, दुसरे भाग में 3.45 एकड़ जमीन है जो असफनजियारपुर, लहेरियासराय में कॉलेज द्वारा अधिग्रहित भूमि है | यह वर्तमान स्थित कॉलेज से पश्चिम में लगभग आधा किलो मीटर की दूरी पर है | जिसमे भारत वर्ष का एक मॉडल होमियोपैथिक चिकित्सा महविद्यालय अस्पताल बनाने की तैयारी चल रही है |

10 अप्रैल, 1979 में गोल्डन जुबली समारोह महाविद्यालय द्वारा मनाया गया, जिसके मुख्य अतिथि तत्कालीन कुलपति डॉ शकीलुर रहमान, बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के द्वारा असफनजियारपुर मौजे की 3.45 एकड़ जमीन पर चिकित्सा अस्पताल की आधार शिला रखी गई |

डॉ० यदुबीर सिन्हा होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में योग्य एवं कुशल चिकित्सक, शिक्षक और कर्मचारी हैं, महाविद्यालय और अस्पताल के लिए अलग अलग दो मंजिला भवन, कार्यालय, अच्छी तरह से सुसज्जित पुस्तकालय, प्रयोगशाला, ऑपरेशन - थिएटर, एम्बुलेंस, आवश्यक उपकरण, फर्नीचर, और बतानुकुलित वर्गकक्ष है | कैंपस में बैंक, पोस्ट ऑफिस और एटीएम की सुविधा भी है।

कॉलेज अस्पताल में इनडोर और आउटडोर की सुविधा है, दरभंगा शहर के मध्य में संस्था होने के कारण इलाके के अधिकतर आमजन (मरीज) लगभग 200-250 प्रतिदिन, वर्षों से ओ० पी० डी० में लाभान्वित होते हैं ।

यहाँ होमियोपैथिक के क्षेत्र में योग्य डॉक्टरों का सृजन करने की पूरी कोशिश किया जाता है ताकि वे भारत और विदेशों में बीमार मानव की सेवा कर सकें |

वर्त्तमान में इस महाविद्यालय में बी.एच.एम.एस. डिग्री (Bachelor of Homeopathic Medicine and Surgery) कोर्स 5 वर्ष 6 माह पाठ्यक्रम की पढाई होती है | इस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए छात्र – छात्राओं को 12वीं बोर्ड परीक्षाओ में भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और अंग्रेजी विषय में न्यूनतम 50% अंक और आरक्षित वर्ग के लिए न्यूनतम 45% अंक के साथ उत्तीर्ण होने के पश्चात, NEET की परीक्षा पास करने की आवश्यकता होती है, भारत सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा NEET में न्यूनतम कटऑफ मार्क के आधार पर उन्हें देश भर के सरकारी और गैर सरकारी होमियोपैथिक कॉलेजों में दाखिला मिलता है |

वर्तमान में विश्वभर में लगभग 20 बीस करोड़ लोग होमियोपैथिक दवाओं या उपचारों को अपनाते है |होमियोपैथी भारत की दूसरी सबसे लोकप्रिय चिकित्सा पद्धति है |

सुधा मिटेगी, तृषा मिटेगी, मृत देह को प्राण मिलेगा | विश्व बनेगा वैभवशाली, जब होमियोपैथी को सम्मान मिलेगा ||

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